Prem Lata
Hindi Poetry
Saturday 11 May 2013
मेरा मन: प्रेम कविताएँ
मेरा मन: प्रेम कविताएँ
: मेरी व्यथा चुप अधरों में बन्द शब्दों के भेद को कैसे पढ़ेगा मेरी व्यथा क्या समझेगा जो गुज़रा न हो उस ताप से सुबह सिरहाने बैठ एक किरण चुनती है...
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